RK Narayan – A Visit

ज़िन्दगी में बोहोत से ऐसे पल आते हैं  जब हम सोच रहे होते है की सच , सच में हम ज़िंदा है ? खुद की धड़कने सुनाये देने लगती है, खुद का शरीर महसूस होता है।  एक पल में ही हम खुद को इंसान की नज़र से देख पाते है। वो पल जो हम कुछ मुश्किलों के बाद ही पाते है।  अफ़सोस अक्सर हम ये भूल जाते है की खुद का लिया हुआ फैसला भले हे कुछ मुश्किलें सामने खड़ी करता है पर उस हर मुश्किल में खुदा या भगवान हमारे साथ ही होता है।

इस बार दो साल बाद में मैसूरु गयी थी।  कारण – ऐसे ही।  बैंगलोर तक गयी थी तोह सोचा मैसूरु हो आती हूँ।  बस में बैठे बैठे यूँही ढूंढा “थिंग्स टू डो इन मैसूरु ” . जवाब मिला ” र क नारायणा होम “। तोह बस फिर क्या था उठाया बिस्तरा और चल दिए। उस घर में क्या क्या था वो तोह शायद कुछ खास मायने नहीं रखता।  क्यूंकि उन चीज़ो का अहसास तोह तब ही होगा जब वहाँ जाया जाएगा।  पर उस  घर में घुसते साथ ही ऐसा लगा मानो नारायण सर आज  भी वही कही बस्ते है।  जैसे जब भी कोई उस घर  में आता होगा तोह वो उसे खुद अपने घर में रखी चीज़े दिखाते है। मनो कोई मेहमान आया हो।  उस एक घंटे में मुझे ऐसा लगा जैसे हर उस पल में जब नारयण सर अपनी बात बता रहे थे , मैं भी वही कही थी।  जब उनकी बेटी का देहांत हुआ तोह लगा उस पल में थी में उनके साथ। शयद यही फरक होता है एक घर और मकान में।  अगर र क नारायण का म्यूजियम किसी अनजान जगह पर होता तोह शायद वो अहसास न होता।  क्यूंकि वो उनके अपने घर में था , तोह लगा मानो वो आज भी उस घर में ज़िंदा है।

यूँ तोह उनके घर में बोहोत सारी ऐसी चीज़े थी जिनके बारे में लिखा और बोला जा सकता है ,  जैसे की वहाँ रखे पद्मा श्री और पद्मा विभूषण पर वो सब वही चीज़े है जो दुनिया ने उन्हें दी , पर ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे है वो उनकी सोच है।  ये वह जगह है जहा नारयण सर बैठ कर सोचा करते थे। उनके सामने ५ खिड़किया है जो सामने से उस ज़माने में एक बेहतरीन नज़ारा दिया करती थी।  इस मेज़ में  रख कर वे लिखा करते थे। घर में चारो तरफ उनके कहे गए वाकया थे जो आज भी उतना ही महत्व रखते है  जितना शयद उस समय रखते होंगे। 
past is gone, the present is going and tomorrow is a day after tomorrow yesterday. So, why worry about anything?? God is in all this! 

मेरे लिए इस वाकया ने चीज़ो को बदल के रखा।  या फिर कहा जा सकता है की उन्ही चीज़ो को नया मायना दिया। ज़िन्दगी वो नहीं जो कल थी, न वो है जो कल होगी , जिंदगी आज में है , और उस आज में भगवान तुम्हारे साथ है।

तोह क्या सबको नारयण सर के घर जाना चाइये ! मर्ज़ी है। पर जाना तभी जब दिल बोले।



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